बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान
प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
मतदान व्यवहार
मतदान व्यवहार का आशय है कि मतदाता अपने मताधिकार के प्रयोग में किन तत्वों से प्रभावित होता है। मतदान व्यवहार में सर्वप्रथम तो यह अध्ययन किया जाता है कि कौन से तत्व व्यक्ति को मताधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रेरित और कौन से तत्व उसे इस सम्बन्ध में निरूत्साहित करते हैं। द्वितीय स्तर पर इस बात का अध्ययन किया जाता है कि किन तत्वों से प्रभावित होकर व्यक्ति एक विशेष उम्मीदवाद और एक विशेष राजनीतिक दल के पक्ष में अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। इस दृष्टि से मतदान व्यवहार का अध्ययन चुनाव के पूर्व भी किया जाता है और चुनाव के बाद भी। मतदान व्यवहार मनोवैज्ञानिक तत्वों से प्रेरित एक गूढ राजनीतिक प्रक्रिया है, जो अनेक आन्तरिक और बाहरी तत्वों से प्रभावित होती है। स्वाभाविक रूप से मतदान व्यवहार से भिन्न होता है।
मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व
मतदान व्यवहार एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है अतः मतदान को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हो सकते हैं जैसे -
1. नेतृत्व - चुनावों विशेषतया अब तक हुए लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक प्रभावित करने वाला तत्व नेतृत्व है। प्रथम तीन आम चुनावों में कांग्रेस की विजय का कारण पं. नेहरू का करिश्माती व्यक्तित्व था इसी प्रकार चौथे आम चुनाव में कांग्रेस की आंशिक पराजय का कारण था कि कांग्रेस के पास पं. नेहरू जैसा कोई व्यक्तिव नहीं था। 1971 के लोकसभा चुनावों और 1972 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का भारी विजय का कारण था, श्रीमती गाँधी का व्यक्तित्व और 1977 में कांग्रेस की भारी पराजय का कारण यह था कि श्रीमती गाँधी के व्यक्तित्व की छवि बहुत अधिक धूमिल हो गई थी। 1980 तथा 1984 के लोकसभा चुनावों में भी जनता ने क्रमशः श्रीमती गाँधी और राजीव गाँधी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर मतदान किया। 1889 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की पराजय का कारण 'बो फोर्स' सौदे में दलाली को लेकर राजीव गाँधी की छवि का धूमिल होना था। दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं लोकसभा के चुनावों और बारहवीं लोकसभा के चुनावों में अटल बिहारी बाजपेयी के व्यक्तिव ने भाजपा को लाभान्वित किया। तेरहवीं लोकसभा के चुनाव में 'बाजपेयी के नेतृत्व' ने भाजपा और राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन को निश्चित राजनीतिक लाभ पहुँचाया। चौदहवीं लोकसभा के चुनावों में 'नेतृत्व के प्रश्न' की भूमिका अवश्य रही, लेकिन यह 'सबसे प्रमुख विषय' नहीं बन पाया। पन्द्रहवीं लोकसभा के चुनाव में 'राहुल, सोनिया और मनमोहन सिंह की त्रिमूर्ति और इस त्रिमूर्ति के आपसी सहयोग सामंजस्य ने कांग्रेस दल को निश्चित लाभ पहुँचाया। इसमें संभवतया सबसे प्रमुख रही। 16वीं लोकसभा के चुनावों में जनता ने नरेन्द्र मोदी के होकर मतदान किया और भारतीय जनता पार्टी एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को लाभान्वित किया।
2. राजनीतिक स्थिरता और केन्द्र में सुदृढ़ सरकार की आकांक्षा - भारतीय मतदाता सामान्यतया राजनीतिक स्थायित्व और केन्द्र में सुदृढ़ शासन चाहते हैं और 1977 के पूर्व तक उनके द्वारा कांग्रेस को समर्थन प्रदान किये जाने का यह एक प्रमुख कारण रहा है। 1980 तथा 1984 के लोकसभा चुनावों में जनता द्वारा इन्द्रिरा कांग्रेस को भारी बहुमत प्रदान किये जाने का यह सबसे प्रमुख कारण था। नवीं, दसवीं, ग्यारवीं तथा बारहवीं के लोकसभा के चुनावों ( क्रमशः 1989, 1991, 1996, तथा 1998 ) में भी जनता राजनीतिक स्थिरता और सुदृढ़ सरकार चाहती थी, लेकिन जनता के समक्ष सही और सम्पूर्ण अर्थों में न तो कोई अखिल भारतीय दल था और न ही अखिल भारतीय व्यक्तित्व। दूसरी ओर क्षेत्रीय दलों और क्षेत्रीय सामन्तों की शक्ति में निरन्तर वृद्धि हो रही थी, अतः जनता ने किसी एक राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्रदान किया था। 16वीं लोकसभा के चुनावों में राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन का नेतृत्व कर रही भारतीय जनता पार्टी के मिले पूर्ण बहुमत ने साबित कर दिया है कि स्थायी और सुदृढ़ सरकार भारतीय मतदाता की पहली पसंद है।
3. आर्थिक स्थिति - व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति भी मतदान व्यवहार को प्रभावित करती है। एक प्रमुख तथ्य यह है कि व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति अच्छी हो तो मतदाता शासक दल के पक्ष में मतदान करते हैं, अन्यथा शासक दल के विरूद्ध। इसी कारण शासक दल की यह इच्छा रहती है कि चुनाव 'अच्छी कृषि के वर्ष में हो। 1980 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी की पराजय का एक प्रमुख कारण जनता की आर्थिक कठिनाइयाँ थीं, जिसके लिए उन्होंने जनता पार्टी और जनता एस की उत्तरदायी' माना। नवम्बर, 1998 में सम्पन्न राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा की पराजय का एक बड़ा कारण बढ़ती हुई महंगाई से उत्पन्न जनता की आर्थिक कठिनाइयाँ थीं, 16वीं लोकसभा के चुनावों (2014) में भी यू.पी.ए. की हार का एक प्रमुख कारण जनता की आर्थिक कठिनाइयाँ थीं। लगातार बढ़ती महंगाई से निजात पाने के लिए मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया।
4. दलों की विचारधारा, कार्यक्रम और नीति - भारतीय मतदाता यद्यपि बहुत अधिक नहीं, लेकिन कुछ सीमा तक दलों की विचारधारा, कार्यक्रम और नीति से भी प्रभावित होते हैं। इस सम्बन्ध में उनके द्वारा निषेधात्मक विचारधारा और कार्यक्रम के स्थान पर सकारात्मक विचारधारा और कार्यक्रम को पसन्द किया जाता है। 1971 में लोकसभा चुनावों में जनता ने 'गरीबी हटाओ के कार्यक्रम को अपना मत दिया था और 1977 के चुनावों में जनता पार्टी के राजनीतिक कार्यक्रम 'लोकतन्त्र की रक्षा' को अपना मत दिया था। 2014 के लोकसभा चुनावों में जनता ने भारतीय जनता पार्टी के 'सुशासन व विकास' के पक्ष में अपना मत दिया। जनता ने इस बात को समझ लिया है कि राजनीतिक दलों की विचारधारा, नीति और कार्यक्रम केवल दिखावे के लिए हैं, इस कारण भी यह तत्व मतदान व्यवहार को कम ही प्रभावित कर पाता है।
5. जातिवाद - जातिवाद मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाला एक तत्व रहा है जो कई बार और अनेक क्षेत्रों में एक समुदाय बन जाता है। वैसे तो इस तत्व का प्रभाव भारतीय संघ के सभी राज्यों में है लेकिन फिर भी बिहार, इत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और केरल में इस तत्व का प्रभाव अधिक है। इस सम्बन्ध में कुछ महत्वपूर्ण और आशावर्धक तथ्य ये हैं, प्रथम, विधानसभा चुनावों की तुलना में लोकसभा में जाति के तत्व का प्रभाव कम होता है। द्वितीय, यदि चुनावों के अन्तर्गत कोई महत्वपूर्ण प्रश्न या विशेष समस्या समाने हो अथवा राजनीति में कोई 'करिश्माती व्यक्तित्व: हो तो फिर जाति के तत्व का प्रभाव बहुत कम हो जाता है। 2014 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं ने जातिवाद को बड़े पैमाने पर नकार दिया है। इन चुनावों में जाति के तत्व की तुलना में 'सुशासन और विकास' के तत्व ने अधिक प्रमुख भूमिका निभाई है।
6. क्षेत्रवाद की प्रवृत्ति - भारत के कुछ राज्यों में क्षेत्रवाद की प्रवृत्ति भी प्रबल है। तमिलनाडु में गत् तीन दशकों में क्षेत्रवादी प्रवृत्ति के कारण ही डी. एम. के. और अन्ना डी. एम. के. को प्रभावशाली स्थिति प्राप्त रही है तथा पंजाब में अकाली दल की सफलता का भी यह एक प्रमुख कारण रहा है। पं. बंगाल और केरल आदि राज्यों में कुछ क्षेत्रीय दलों की सफलता का कारण रहा है। ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं, चौदहवीं, पन्द्रहवीं और सोलहवीं लोकसभा के चुनावों में तो भारतीय संघ के अनेक राज्यों में क्षेत्रवाद की प्रवृत्ति ने प्रमुख भूमिका निभाई है।
7. भाषाई स्थिति - भाषा का तत्व भी भारत में मतदान व्यवहार को प्रभावित करता है। 1967 तथा 1971 के चुनावों में डी. एम. के. ने 'हिन्दी विरोध के नाम पर समर्थन प्राप्त किया और 1977 के लोकसभा चुनावों में दक्षिण भारत में जनता पार्टी की असफलता का एक कारण यह रहा कि दक्षिण भारत के व्यक्ति जनता पार्टी की भाषा नीति के सम्बन्ध में पूर्णतया आश्वस्त नहीं थे। 1980 के बाद के चुनावों में भाषायी तत्व का प्रभाव कम देखा गया है।
8. युद्ध में सफलता तथा असफलता - युद्ध में सफलता तथा असफलता भी मतदान व्यवहार को प्रभावित करती है। 1962 की असफलता का 1963 में सम्पन्न लोकसभा के कुछ उपचुनावों तथा 1967 के आम चुनावों में कांग्रेस के भाग्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा है और 1971 के युद्ध में प्राप्त सफलता के 1972 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सफलता को बहुत सरल कर दिया। कारगिल युद्ध के प्रसंग में भारतीय नेतृत्व की सफलता ने 'राजग' को स्पष्ट बहुमत की दिशा में आगे बढ़ाया। इस सफलता असफलता को स्वाभिक रूप से राष्ट्रीय सम्मान के साथ जोड़कर देखा जाता है।
9. शासन की क्षमता अक्षमता - का प्रश्न जब कोई राजनीतिक दल शासन करने में अक्षम सिद्ध होता है, तब वह जनता का समर्थन खो देता है। 1980 के चुनावों में इन्दिरा कांग्रेस का नारा था : ऐसी सरकार चुनिए, जो शासन कर सके।
10. आर्थिक साधन - आर्थिक शासन भी मतदान व्यवहार को प्रभावित करते हैं., लेकिन 1977 के लोकसभा चुनाव तथा उसके बाद के कुछ चुनावों के उदाहरण ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि आर्थिक साधन चुनाव को निर्णायक रूप में प्रभावित नहीं कर पाते। चुनावी राजनीति का सबक यह है कि आर्थिक साधनों का चतुराई भरा उपयोग राजनीतिक दल और उम्मीदवारों को लाभान्वित करता है। 'आन्दोलन की राजनीति' यदि कुछ अन्य तत्व भी मतदान व्यवहार को प्रभावित करते हैं। जब कोई राजनीति दल जनता के रोजमर्रा के जीवन से जुड़े किसी प्रश्न पर आन्दोलन खड़ा करने में सफल होता है, तब चुनाव में वह लाभान्वित होता है। चुनाव प्रचार का प्रभाव राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से अप्रतिबद्ध मतदाताओं पर ही पड़ता है। मतदाता अपने मताधिकार के प्रयोग में, इस बात से भी प्रभावित होता है कि जीतता हुआ राजनीतिक दल और जीतता हुआ उम्मीदवार कौन है। मतदाता हारते हुए उम्मीदवार को मत देकर अपने मत को नष्ट नहीं होने देना चाहता है। 2012 ई. के उ. प्र. विधानसभा एवं 2014 के लोकसभा चुनावों सहित अनेक बार इस तत्व का मतदान पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है सामान्यतः बड़े निर्वाचन क्षेत्रों (लोकसभा चुनावों) में मतदान राजनीतिक दल पर आधारित होता है, लेकिन विधानसभा चुनावों और स्थानीय चुनावों में मतदान उम्मीदवार आधारित होता है।
कभी-कभी कोई नया तत्व या प्रश्न भी 'मतदान व्यवहार' को प्रभावित कर सकता है। दिसम्बर 1984 के लोकसभा चुनावों को 'सहानुभूति लहर ने बहुत अधिक प्रभावित किया था तथा 1991 में 'राजीव गाँधी की हत्या से उत्पन्न सहानुभूति ने कांग्रेस के मतों में अच्छी वृद्धि की थी। राजनीतिक दल और उम्मीदवार की जनता में विश्वसनीयता, जनता दुख: दर्द के प्रति उनकी संवेदना आदि तत्व, मतदान व्यवहार को निश्चय ही प्रभावित करते हैं।
मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले उपर्युक्त तत्वों में कौन-सा तत्व कब अधिक प्रभावी होगा और कब कम प्रभावी, यह कह पाना कठिन है। मतदान व्यवहार मानव और मस्तिष्क से चालित होता है। समस्त सृष्टि में मानव मन और मानव मस्तिष्क से अधिक जटिल, अधिक गूढ़ अधिक संवेदनशील और अधिक गतिशील कुछ भी नहीं है। यही कारण है कि तथा कथित विद्वान अध्ययनकर्ता चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों और एक्जिट पोल के आधार पर, भविष्य दृष्टा के रूप में चुनाव परिणाम के सम्बन्ध में घोषणा करते हैं और चुनाव परिणाम आने पर सबसे पहले वे स्वयं ही धराशायी हो जाते हैं।
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- प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
- प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
- प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
- प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
- प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
- प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
- प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
- प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
- प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
- प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
- प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
- प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
- प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
- प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
- प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
- प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
- प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
- प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
- प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
- प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
- प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
- प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।